INDIA.
One Nation One Voice.
We will not be separated by religious, linguistic,
demographic or political differences.
We will not be divided on "What is freedom of
Speech?"
Because we have the legacy of Bhagat Singh, Sukhdev and
Rajguru who used "Speech" as medium to inspire millions of freedom
fighters.
We will not let them down in 2016 and in future.
Say Proudly. Long Live India. Long Live Independence.
Inquilab Zindabad.
Remembering the martyrs on Shaheed Diwas. 23 March.
सरफ़रोशी
की तमन्ना अब
हमारे दिल में
है
देखना है ज़ोर
कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
एक से करता
नहीं क्यूँ दूसरा
कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं
जिसे वो चुप
तेरी महफ़िल में
है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत,
मैं तेरे ऊपर
निसार,
अब तेरी हिम्मत
का चरचः ग़ैर
की महफ़िल में
है
सरफ़रोशी
की तमन्ना अब
हमारे दिल में
है
वक़्त आने पर
बता देंगे तुझे,
ए आसमान,
हम अभी से
क्या बताएँ क्या
हमारे दिल में
है
खेँच कर लाई
है सब को
क़त्ल होने की
उमीद,
आशिक़ोँ
का आज जमघट
कूचः-ए-क़ातिल
में है
सरफ़रोशी
की तमन्ना अब
हमारे दिल में
है
है लिए हथियार
दुशमन ताक में
बैठा उधर,
और हम तय्यार
हैं सीना लिये
अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे
होली गर वतन
मुश्किल में है,
सरफ़रोशी
की तमन्ना अब
हमारे दिल में
है
हाथ, जिन में
हो जुनून, कटते
नही तलवार से,
सर जो उठ
जाते हैं वो
झुकते नहीं ललकार
से.
और भड़केगा जो शोलः
सा हमारे दिल
में है,
सरफ़रोशी
की तमन्ना अब
हमारे दिल में
है
हम तो घर
से ही थे
निकले बाँधकर सर
पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिये
लो बढ चले
हैं ये कदम.
जिन्दगी
तो अपनी मॆहमाँ
मौत की महफ़िल
में है,
सरफ़रोशी
की तमन्ना अब
हमारे दिल में
है
यूँ खड़ा मक़्तल
में क़ातिल कह
रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत
भी किसी के
दिल में है?
दिल में तूफ़ानों
की टोली और
नसों में इन्क़िलाब,
होश दुश्मन के उड़ा
देंगे हमें रोको
न आज.
दूर रह पाए
जो हमसे दम
कहाँ मंज़िल में
है,
जिस्म भी क्या
जिस्म है जिसमें
न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लढ़े तूफ़ान
से जो कश्ती-ए-साहिल
में है
सरफ़रोशी
की तमन्ना अब
हमारे दिल में
है
देखना है ज़ोर
कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
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