Wednesday, July 15, 2020

Lagi aaj sawan... लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है

Writting this blog from hometown.. working from hometown from almost a month now.

Raining inccessantly outside, relief for ppl shunned in homes due to Covid19.

Great feeling.... easing out the harshness of summer.

Working from home isnt easy, its pleasure and pain both at same time...

Some riffs with older loved ones because you care for them but they dont understand your viewpoint.

They have lived their life in certain ways and now find it impossible to mend in smallest of ways even if a medico tells to do so...

As a sandwich generation who now have to take care of small ones and older ones, we feel the emotional pressure that no one can understand from our virewpoint.

Anyways...... the rain washes out the riffs, unblocks the strained flows, thunder clears the air... let it rain.


Sunday, January 19, 2020

Tough Men .. do last tough times.

इतना टूटा हूँ के छूने से बिखर जाऊँगा
अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊँगा

पूछकर मेरा पता वक्त रायदा न करो
मैं तो बंजारा हूँ क्या जाने किधर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के...

हर तरफ़ धुंध है, जुगनू है, न चराग कोई
कौन पहचानेगा बस्ती में अगर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के...

ज़िन्दगी मैं भी मुसाफिर हूँ तेरी कश्ती का
तू जहाँ मुझसे कहेगी मैं उतर जाऊँग
इतना टूटा हूँ के...

फूल रह जायेंगे गुलदानों में यादों की नज़र
मै तो खुशबु हूँ फिज़ाओं में बिखर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के...

Friday, January 17, 2020

Wrapping the decade 2010 -2020

जो कभी झरने की तरह बेह्ते थे, आज समुन्दर की तरह ठेहर गये है |
जो कभी रोज मिलते थे, आज कोसो दूर बैठे याद भर नहीं करते |
जो कभी साथ बैठ के मेहफ़िल सजाते थे, आज महफ़िलो में बुलाना लाजमी नहीं समझते |
जो कभी हर बात बताते थे, आज दुनिया बसा लेते है लेकिन उफ़, घर का पता तक नहीं बताते |

कुछ है जो रिश्तो को बनाये रखने के लिए कोशिश करते है
वर्ना ज्यादातर ऐसे है जो दिखे तोह प्रणाम, नहीं तो सालो तक बात भी नहीं करना चाहते  |

दिन महीने सालो में कुछ चीज़े बदल जाती है,
लेकिन एक दशक के पुरे होते होते लोग ही बदल जाते है | 

Thursday, January 16, 2020

Welcome 2020

Happy New Year 2020


Earlier I used to write atleast once in month, nowdays it seems I'm writting once in a year! Phewwww Life ... it keeps you busy!