Sunday, January 19, 2020

Tough Men .. do last tough times.

इतना टूटा हूँ के छूने से बिखर जाऊँगा
अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊँगा

पूछकर मेरा पता वक्त रायदा न करो
मैं तो बंजारा हूँ क्या जाने किधर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के...

हर तरफ़ धुंध है, जुगनू है, न चराग कोई
कौन पहचानेगा बस्ती में अगर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के...

ज़िन्दगी मैं भी मुसाफिर हूँ तेरी कश्ती का
तू जहाँ मुझसे कहेगी मैं उतर जाऊँग
इतना टूटा हूँ के...

फूल रह जायेंगे गुलदानों में यादों की नज़र
मै तो खुशबु हूँ फिज़ाओं में बिखर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के...

Friday, January 17, 2020

Wrapping the decade 2010 -2020

जो कभी झरने की तरह बेह्ते थे, आज समुन्दर की तरह ठेहर गये है |
जो कभी रोज मिलते थे, आज कोसो दूर बैठे याद भर नहीं करते |
जो कभी साथ बैठ के मेहफ़िल सजाते थे, आज महफ़िलो में बुलाना लाजमी नहीं समझते |
जो कभी हर बात बताते थे, आज दुनिया बसा लेते है लेकिन उफ़, घर का पता तक नहीं बताते |

कुछ है जो रिश्तो को बनाये रखने के लिए कोशिश करते है
वर्ना ज्यादातर ऐसे है जो दिखे तोह प्रणाम, नहीं तो सालो तक बात भी नहीं करना चाहते  |

दिन महीने सालो में कुछ चीज़े बदल जाती है,
लेकिन एक दशक के पुरे होते होते लोग ही बदल जाते है | 

Thursday, January 16, 2020

Welcome 2020

Happy New Year 2020


Earlier I used to write atleast once in month, nowdays it seems I'm writting once in a year! Phewwww Life ... it keeps you busy!