Friday, January 17, 2020

Wrapping the decade 2010 -2020

जो कभी झरने की तरह बेह्ते थे, आज समुन्दर की तरह ठेहर गये है |
जो कभी रोज मिलते थे, आज कोसो दूर बैठे याद भर नहीं करते |
जो कभी साथ बैठ के मेहफ़िल सजाते थे, आज महफ़िलो में बुलाना लाजमी नहीं समझते |
जो कभी हर बात बताते थे, आज दुनिया बसा लेते है लेकिन उफ़, घर का पता तक नहीं बताते |

कुछ है जो रिश्तो को बनाये रखने के लिए कोशिश करते है
वर्ना ज्यादातर ऐसे है जो दिखे तोह प्रणाम, नहीं तो सालो तक बात भी नहीं करना चाहते  |

दिन महीने सालो में कुछ चीज़े बदल जाती है,
लेकिन एक दशक के पुरे होते होते लोग ही बदल जाते है | 

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